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माता के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ रही कम



राजनांदगांव ब्यूरो के एस ठाकुर की रिपोर्ट- शारदीय नवरात्रि में देवी के मंदिर में ज्योति कलश स्थापना के साथ साथ श्रद्धालु भक्तजनों की उपस्थिति भी कोरना के चलते इस वर्ष बहुत कम रही ।

राजनांदगांव के प्रसिद्ध मंदिर मां पाताल भैरवी जो बर्फानी धाम के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की भव्यता यह है कि गर्भ गृह में मां काली की भव्य विशाल मूर्ति विराजमान हैं । जो श्रद्धालुओं एवं भक्त दर्शनार्थियों के आकर्षण का केंद्र होता है ।स्थानीय प्रशासन ने इस नवरात्रि मे कोरोना वैश्विक महामारी के चलते धार्मिक एवं पूजा स्थल के लिए विशेष प्रोटोकॉल जारी किए थे , तथा मंदिरों पर प्रवेश के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किए गए थे जिसके चलते पूजा स्थल , मंदिर एवं धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की उपस्थिति अन्य वर्षो की तुलना में काफी कम रहा । राजनांदगांव का पताल भैरवी मंदिर जहां दूर-दूर से दर्शनार्थी आते थे भी इसका प्रभाव दिखाई पड़ा ।।बाहरी दर्शनार्थियों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित था ,केवल स्थानीय श्रद्धालु ही देवी के मंदिर तक पहुंच पाये जबकि अन्य गण भक्त जो दूरदराज से आते हैं उन्हें शहर के सीमा पर ही रोक दिया जाता
मंदिर के महंत श्री श्री108 श्री महंत मंडेश्वर गोविंद दास जी जो कि विगत 28 वर्षों से माता के चरणों मे सेवाएं दे रहे हैं ने बताया कि प्रतिवर्ष आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप भोजन उपलब्ध कराया जाता था वह इस वर्ष कोरोना के चलते नहीं करा पा रहे हैं ,एवं ज्योति विसर्जन भी मंदिर के कर्मचारी के द्वारा किया जाएगा। इस मंदिर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर हिमालय की जड़ी बूटी से बनी खीर प्रसाद अस्थमा स्वाश के रोगियों को प्रतिवर्ष किया जाता है ।जिसके लिए पूरे देश विदेश से हजारों की संख्या में पीड़ित व्यक्ति प्रसाद ग्रहण हेतु पहुंचते हैं और अपनी बीमारी मे लाभ अर्जित करते हैं ।आपने कहा कि इस वर्ष शरद पूर्णिमा में दमा रोगियों के लिए खीर प्रसाद का वितरण भी नहीं कर पाएंगे ।
धार्मिक स्थलों में दर्शनार्थियों की उपस्थिति कम होने का असर माता के श्री चरणों हेतु प्रसाद श्रृंगार सामग्री श्रीफल के दुकानदारों पर भी दिखाई दे रहा है मंदिर परिसर के दुकानदार ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि प्रतिवर्ष आने वाले श्रद्धालुओं की तुलना में इस वर्ष श्रद्धालु कम पहुंच रहे हैं जिसकी वजह से उनके व्यवसाय में भी कमी आई है।

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