के एस ठाकुर राजनांदगांव.
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है यही वजह है छत्तीसगढ़ में धान खरीदी हमेशा एक बडा राजनीतिक मुद्दा रहा है ।सरकार किसी की हो जो भी पार्टी विपक्ष मे रहती है वह धान की खरीदी धान की बोनस को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाकर जनता के बीच में हमेशा जाने का प्रयास करती है। छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार रही है तो विपक्षी पार्टी कांग्रेस धान खरीदी की दर बढ़ाने धान खरीदी का बोनस देने हमेशा आवाज उठाती रही है। और 2018 की विधानसभा चुनाव में धान की खरीदी 2500 प्रति क्विटल की दर करने का घोषणा पत्र कांग्रेस का प्रमुख घोषणा था ,जिसके दम पर कांग्रेस ने 15 वर्ष के वनवास के पश्चात सत्ता में वापसी की। बहुत बड़ी वजह धान खरीदी की कीमत भी रहे । छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी विगत वर्ष से 1 दिसंबर से प्रारंभ होती है । 1 दिसंबर से धान खरीदी को बहुत बड़ा मुद्दा बनाते हुए भाजपा ने ना सिर्फ धान की खरीदी 1 नवंबर से प्रारंभ करने बल्कि धान की खरीदी जिसे 2500 सौ रुपय प्रति क्विंटल मे करने का वादा भूपेश बघेल ने किया था उसकी अंतर की राशि एकमुश्त नहीं देने को भी एक मुद्दा बनाया है ।और अंतर की राशि किसानों को रुला रुला कर परेशान कर देने का आरोप लगाते हुए बचत पूरी राशि एक साथ देने की मांग की है। इन्ही मांगों को लेकर भारतीय जनता पार्टी राजनांदगांव के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं द्वारा के द्वारा नारेबाजी करते हुए कलेक्टर पहुंचकर जिलाधीश से भेंट कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा ।
भाजपा के नेताओं ने कहा कि धान पूरी तरह से पक कर तैयार हो चुके हैं और किसान धान की कटाई भी कर रहे हैं ऐसी स्थिति में 1 दिसंबर से धान खरीदी करने पर किसान अपनी फसल को औने पौने दाम पर कोचिये को या फिर मंडियों मे बेचने के लिए मजबूर जाएंगे जिससे किसानों को बहुत आर्थिक नुकसान होगा इसको देखते हुए सरकार को चाहिए कि वह धान खरीदी 1 तारीख से प्रारंभ कर दें ।