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दुर्घटना की जांच करते हुए दुर्घटना के कारणों और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को चिन्हित किया भारतीय मजदूर संघ के जांच दल ने

महारत्न सेल के इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदान राजहरा खदान समूह में सुरक्षा के प्रति जिस तरह से लापरवाही बरती जा रही है और जिस तरह से खदानों में कर्मियों के सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बने सरकारी उपक्रम के अधिकारियों द्वारा इस लापरवाही के प्रति आंख बंद कर लिया गया है उससे कई अहम प्रश्न खड़े होते हैं। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए भारतीय मजदूर संघ के बालोद जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने बताया कि दिनांक 22 मई 2020 को दल्ली यांत्रिक‌त खदान मे बिजली पोल को हटाने का कार्य चल रहा था जिसके दौरान दुर्घटना घटी और अतिराम नामक ठेका श्रमिक की दुखद मौत हो गई। क्योंकि यह फेटल दुर्घटना कार्यस्थल पर कर्मियों के सुरक्षा से जुड़ी थी अतएव इस दुर्घटना की जांच हेतु डिप्टी डायरेक्टर ऑफ माइंस सेफ्टी । इलेक्ट्रिकल,नागपुर एवं सेल के सुरक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा स्थल निरीक्षण एवं दुर्घटना के कारणों की जांच की गई। इस बीच भारतीय मजदूर संघ ने यह निर्णय लिया कि क्योंकि इस दुर्घटना से कार्य स्थल पर कर्मियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं अतः श्रमिक संगठन होने के नाते संघ का यह कर्तव्य बनता है कि वह भी इस दुर्घटना की जांच करते हुए दुर्घटना के कारणों और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को चिन्हित करें।

इस तारतम्य में संघ ने एक जांच समिति का गठन किया और दुर्घटना स्थल का निरीक्षण करते हुए कर्मियों से बातचीत की और दुर्घटना के कारणों एवं इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों का पता लगाया ।संघ द्वारा किए गए जांच में जो तथ्य सामने आए उसे ऐसी कई बातें सामने आई है जिससे दल्ली खदान प्रबंधन के कतिपय अधिकारियों द्वारा जालसाजी दस्तावेजों में हेरफेर, ठेका कर्मियों पर नौकरी से निकालने की धमकी देकर बलपूर्वक पुलिस थाने में गलत बयान बाजी करवाना ,ठेकेदार से मिलीभगत कर के ठेके के नियम और शर्त के विरुद्ध जाकर खुलेआम गैरकानूनी तरीके से ऐसा काम कराया जिसके लिए मृतक अतिराम अधिकृत ही नहीं थे और ना ही उक्त प्रवृत्ति का कार्य में किसी तरह का कार्य उक्त ठेके में निहित था। दुर्घटना के समय जो कार्य कराया जा रहा था वह विभागीय तौर पर कराया जा रहा था।मृतक अतिराम अकुशल श्रेणी का कामगार था और उसके पास लाइनमैन का कोई सर्टिफिकेट नहीं था। दुर्घटना के वक्त मृतक अतिराम से जो कार्य कराया जा रहा था वह लाइनमैन का कार्य था और चुंकि कार्य विभागीय तौर पर किया जा रहा था अतः उस कार्य को विभागीय लाइनमैन से कराना था।किंतु कार्य का देखरेख करने वाले विभागीय विद्युत इंजीनियर द्वारा विभागीय लाइनमैन से उक्त कार्य नहीं कराया गया और इसके लिए मृतक अतिराम जो कि ठेका नियम के अनुसार अकुशल कामगार था उससे यह कार्य कराया गया जिसके फलस्वरूप दुर्घटना में उसकी मृत्यु हुई।

संघ द्वारा किए गए जांच में जो तथ्य सामने आए हैं उसकी जानकारी देते हुए जिला मंत्री ने बताया कि उक्त दुर्घटना के लिए जो कारक तत्व जिम्मेदार हैं वह
निम्नानुसार हैं-

  1. एम/एस मुंदर इलेक्ट्रिकल्स के अकुशल कर्मियों से कुशल श्रेणी के कर्मियों का कार्य कराना।
    2.मृतक अतिराम के पास लाइनमैन का सर्टिफिकेट ना होने के बावजूद उससे लाइनमैन का कार्य कराना और इसके लिए उक्त ठेके के ऑपरेटिंग अथॉरिटी द्वारा अति राम के गेट पास में फर्जी रूप से उसे लाइनमैन दर्शना।
  2. विभागीय कार्य होते हुए और विभागीय लाइनमैन उपलब्ध होने के बावजूद एक अकुशल श्रेणी के व्यक्ति से लाइनमैन जैसे कुशल श्रेणी का कार्य कराना और उसे उचित ठहराने हेतु गेट पास जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज में कूटरचना करना।
  3. एम/एस मुंदर इलेक्ट्रिकल्स द्वारा ठेके में कोई सुपरवाइजर नहीं रखना और दुर्घटना के बाद दल्ली यंत्री कृत खदान के वरिष्ठ प्रबंधक इलेक्ट्रिक द्वारा ठेके के एक कर्मी पर नौकरी से हटाने का दबाव डालकर पुलिस थाने में गलत बयान बाजी करवाना।
  4. जिस विद्युत रेल पोल को हटाने का कार्य विभागीय तौर पर कराया जा रहा था वह पहले से ही क्षतिग्रस्त था और यह बात दल्ली यंत्रीकृत खदान के सभी अधिकारी और कर्मियों को पता था। किंतु इसके बावजूद कार्य के दौरान उक्त पुल को गिरने से रोकने हेतु प्रबंधन के चहेते विद्युत इंजीनियर द्वारा कोई समुचित प्रबंध ना करना।
  5. MMR 1961 एवं CEA के सुरक्षा प्रावधानों के तहत उचित इलेक्ट्रिकल सुपरवाइजर की नियुक्ति ना करना जिससे कि काम में कोई दुर्घटना ना घटे की अवहेलना करना।
    इसके अलावा कुछ और भी ऐसे तथ्य हैं जिनको उजागर इस समय संघ करना नहीं चाहता क्योंकि अगर उन तथ्यों को संघ सार्वजनिक करता है तो इससे ना केवल प्रबंधन के कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़े होंगे और साथ ही कुछ अधिकारी की कार्यशैली पर न केवल प्रश्न उठेगा बल्कि वर्तमान में चल रहे विभागीय जांच पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की बात प्रबंधन द्वारा कही जावेगी,साथ ही अगर उन तथ्यों को सार्वजनिक कर दिया जाता है तो खदान कर्मियों का विश्वास डीजीएमएस जैसे संवैधानिक संस्था से भी उठ जावेगा क्योंकि इस पूरे प्रकरण में संघ के दृष्टिकोण में डीडीएमएस इलेक्ट्रिकल नागपुर द्वारा जो जांच की गई है उसमें या तो इन तथ्यों की जानकारी उन्हें स्थानीय प्रबंधन द्वारा नहीं दी गई है या फिर किसी अनुचित प्रभाव में आकर डीडीएमएस इलेक्ट्रिकल नागपुर द्वारा जानबूझकर इन तथ्यों को अनदेखा करते हुए केवल लीपापोती करने का कार्य किया गया है।
    अंत में मुश्ताक अहमद ने कहा कि भले ही बीएसपी प्रबंधन और इसके अधिकारी अपने आप को देश और देश के कानून से ऊपर मानते हो परंतु संघ को देश के कानून व्यवस्था पर पूरा विश्वास है और अगर विभागीय जांच में प्रबंधन द्वारा किसी भी तरह की लापरवाही की जाती है या गैरकानूनी तरीके से बेगुनाह कर्मी को दोषी साबित करते हुए किसी भी तरह की सजा दी जाती है तो संघ ना केवल इसका विरोध करेगा बल्कि न्यायालय में जाकर उन तमाम तथ्यों को रखते हुए न्याय की मांग करेगा जिन तथ्यों को स्थानीय प्रबंधन द्वारा छुपाने का प्रयास किया जा रहा है।
    यहां एक बात और प्रमुखता से सामने आती हैं कि मृतक साथी अतिराम की दुर्घटना में मौत हुए 05 माह से अधिक समय हो गया है, उसके बाद भी स्थानीय खदान प्रबंधन द्वारा उनके परिवार से किसी को भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई है जो कि बहुत ही शर्मनाक है।ऐसा लगता है कि प्रबंधन के कुछ अधिकारी ईस अनुकंपा नियुक्ति में जानबूझकर देरी कर रहे हैं,या किसी प्रकार की लालसा के कारण ऐसा किया जा रहा है समझ से परे है,मगर बी एस पी प्रबंधन के ऐसे कृत्य से मृतक अतिराम के परिवार के समक्ष जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है। जबकि अभी तक राजहरा खदान में दुर्घटना में हुई श्रमिक साथियों की मृत्यु पर तत्काल उनके परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दी जाती रही है। भारतीय मजदूर संघ खदान प्रबंधन को तत्काल मृतक के परिवार में एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग करता है, और अगर प्रबंधन द्वारा 15 दिन के अंदर अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाती है तो भारतीय मजदूर संघ ईसके लिए कड़े कदम उठाने के लिए बाध्य होगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी बी एस पी प्रबंधन की होगी।

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