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बाबा की पाती नरेंद्र मोदी के नाम पाटेश्वरधाम का मामला pmo/cmo तक पहुंचा

छत्तीसगढ़ में बहुत से देवस्थल फॉरेस्ट भूमि पर बने हैं लेकिन केवल पाटेश्वर धाम को नोटिस देना एक षड्यंत्र लगता है

cg24 आजतक.


आज श्री पाटेश्वर सेवा संस्थान पंजीयन क्रमांक 1100
की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र भेजा गया जिसमें भारतवर्ष के प्रसिद्ध धार्मिक संस्थान छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड के वन क्षेत्र स्थान में स्थित जामड़ी पाटेश्वर धाम को वहां की डीएफओ सतोविसा समाजदार की ओर से धारा 80 क के तहत नोटिस जारी किया गया है कि यदि इस स्थान के निर्माण की अनुमति नही ली गई है तो इस धार्मिक स्थान में निर्मित सभी निर्माण प्रशासन की ओर से हटा दिये जाएगे यह नोटिस पहले 11 सितंबर 2020 एवं दूसरा नोटिस 7 नवंबर 2020 को दिया गया है संस्थान ने इस विषय पर विस्तार से बताया कि यह धार्मिक स्थान हजारों वर्षों से समस्त क्षेत्र वासियो के द्वारा पूजित है 1975 से परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री
राजयोगी बाबा जी की तपस्थली है और संत राम बालक दास जी 1986 में 9 वर्ष की आयु से यहां गुरुजी के साथ रहकर समाज की और गोमाता की सेवा में लगे हैं
मां कौशलया जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पंचमुखी हनुमान मंदिर और इसी के साथ गौशाला सीता रसोई विद्यालय आदि का निर्माण भक्तों के सहयोग करोड़ों रुपए की लागत से किया जा चुका है बड़े-बड़े साधु संत धर्माचार्य शंकराचार्य का आगमन यहां होता रहता है आर एस एस के मुख्य सरसंघचालक मोहन भागवत भी इस संस्थान में आकर रात्रि विश्राम कर चुके हैं इस जगह पर लगातार धार्मिक आयोजन जैसे श्री राम कथा श्रीमद् भागवत कथा एवं गौ कथा चलती रहती हैं इसी के साथ प्रतिदिन भंडारा भी चलता है इस संस्थान में महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ उड़ीसा मध्य प्रदेश पंजाब एवं जम्मू कश्मीर से भक्तों का विशेष लगाव है परम पूज्य संत राम बालक दास जी गौ रक्षा एवं सनातन धर्म के कार्यों के लिए पूरे भारतवर्ष में घूम कर सेवा कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में बहुत से देवस्थल फॉरेस्ट भूमि पर बने हैं लेकिन केवल पाटेश्वर धाम को नोटिस देना एक षड्यंत्र लगता है डीएफओ की यह कार्यवाही उन्माद बढ़ाने वाली है इस नोटिस से बालोद जिले में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है क्योंकि यहां के जनमानस में पाटेश्वर धाम का बहुत बड़ा सम्मान है इसलिए भक्तों की आस्था को देखते हुए जिसमें भक्तों के करोड़ों रुपए लगे हुए हैं और छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान पर लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं तो अब डीएफओ द्वारा यह नोटिस देना सरासर नाइंसाफी है और प्रशासन को आगाह करती है कि भारत के सनातनी भक्तों की परीक्षा ना ली जाए प्रशासन की ओर से तुरंत इस भूमि का पट्टा संस्थान के नाम किया जाए ताकि भक्त लोग शांति से वहां पर आ जा सके इसलिए एक बार फिर केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ की सरकार से निवेदन है इस और विशेष ध्यान दिया जाए

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