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दिव्यांग युवा टेकराम सलामे को सम्मानित करने पहुँचे राष्ट्रपति सम्मानित सत्येन्द्र साहू और राज्य स्तरीय सम्मान प्राप्त कौशल गजेंद्र

छुरिया- मंजिले उन्ही को मिलती है,जिनके सपनो में जान होती है, पंख से कुछ नही होता मित्रों हौसलों से उड़ान होती है।। ये कहावत आपने शायरी में अवश्य सुने होंगे लेकिन इन कहावतों को ग्राम घोघरे-(छुरिया) के दिव्यांग युवा टेकराम सलामे ने सही कर दिखाया। इतनी कठिन परिस्थितियों से लड़कर समाज के लिए आज भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देने में पीछे नही रहते हमेशा हर कार्य के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं दिव्यांग युवा टेकराम सलामे। टेकराम हाथ पैर और पूरे शरीर से लगभग 80%विकलांग हैं, न ढंग से चल सकता है और न ही लिख सकता है , लेकिन फिर भी कोरोना महामारी के इस दौर में गाँव की शिक्षा व्यवस्था को सम्भाले रखा है। इनके जज्बों को सलाम करने पहुँचे सत्येन्द्र साहू और कौशल गजेंद्र । राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त युवा सत्येन्द्र साहू और छत्तीसगढ़ राज्य सम्मानित कौशल गजेंद्र ने टेकराम सलामे के जज्बा को नमन करते हुए स्वयं उनके गांव पहुचकर उनको श्रीफल और शाल भेंट कर सम्मानित किया।

दूसरों के लिए मिशाल है ग्राम -घोघरे के टेकराम सलामे-(राष्ट्रपति सम्मानित सत्येन्द्र साहू)

कोरोना महामारी पूरी दुनिया भर में अपनी कहर मचाई हुई है। जिसके कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था, शिक्षा,संस्कृति, सब कुछ इस महामारी के चपेट में आ गया है।ऐसे समय मे शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय को लेकर राजनांदगाँव के वनांचल ब्लाक छुरिया ग्राम-घोघरे के दिव्यांग युवा टेकराम सलामे ने गांव के बच्चों को लगातार शिक्षा देना प्रारंभ करके लगातार शिक्षा दे रहें हैं।हैरानी की बात यह है कि टेकराम अपने हाथ से लिख नही सकता और न ही ढंग से चल सकता है फिर भी इन्होंने अपना महत्वपूर्ण समय बच्चों के भविष्य बनाने में लगा दिया। टेकराम से पूछने पर बताया कि उन्होंने पिछले 3सालों से लगातार बच्चों को पढ़ा रहें हैं। और टेकराम छुरिया कालेज में हिंदी विषय से एमए पास है। और उन्होंने आगे बताया कि एग्जाम के समय दूसरों की सहायता से लेखन कार्य करके पूरी पढ़ाई किया।
जीवन के इस कठिन दौर से गुजर रहे टेकराम वास्तव में दूसरों के लिए एक मिशाल हैं। मैं भी इनके जज्बे को नमन करता हूँ।

शारीरिक कमजोरी हो लेकिन मानसिक कमजोरी कभी नही रहे और कभी हार नही माने -कौशल गजेंद्र

शारीरिक कमजोरी हो लेकिन मानसिक कमजोरी कभी नही रहे कभी हार नही माने जिस तरह से टेकराम जी क्षेत्र के लिए प्रेरणादायक है शरीर से कमजोर है लेकिन मन से नही है जुनून है समाज सेवा व बच्चो के भविष्य ,देश की रीढ़ शिक्षा पर अपना सेवा दे रहे हैं जो काबिलिये तारीफ है। शिक्षा को किसी भी देश की रीढ़ कहा जाता है, बिना शिक्षा के मनुष्य पशु के समान है। अपने शारीरिक जीवन के इस कठिन दौर से लड़ने वाले टेकराम जी सच मे एक महान युवा है। और उन युवाओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है जो छोटे छोटे चुनौतियों से लड़ने के बजाय आत्म हत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। ऐसे युवाओं को टेकराम जैसे युवाओं से सीखने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति समानित प्राप्त सत्येन्द्र साहू और कौशल गजेंद्र को अपने बीच पाकर गदगद हुए गांव के युवा-युवती

गांव की युवा युवतियों ने अपने बीच पाकर गदगद हो गए और सभी ने उनका तहे दिल से अभिवादन किया। टेकराम ने तो सत्येन्द्र साहू के गांव आने की खुशी में उनके लिए एक गीत की रचना भी कर दिया जो काबिलिये तारीफ है।

विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर टेकराम के जज्बे को नमन सुखेन साहू

ब्लाक युवा संगठक सुखेन साहू ने विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर टेकराम के जज्बे को सलाम करते हुए कहा कि टेकराम हमारे जैसे करोड़ों युवाओं के लिए एक प्रेरणादायी है, इन्होंने जो कार्य किये हैं वह निश्चित ही काबिलिये तारीफ है। साथ ही युवा और युवती मण्डल को संचालित करने वाले टेकराम पूरे क्षेत्र के लिए मिशाल हैं। जो स्वच्छ्ता अभियान, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को लेकर गाँव मे जागरूकता अभियान चलाते हैं। इस कार्यक्रम का संचालन गांव की युवती रोहणी नेताम ने किया ,साथ ही मोनिका कत्लाम, यूथ वालेंटियर पंकज साहू डामेश्वर साहू, पुरषोत्तम नेताम के साथ साथ ग्राम के सभी युवा-युवतियों के सहयोग से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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