राष्ट्रीय मुद्दों पर सड़क की लड़ाई लड़ने जमीन पर दिख रहे पर बालोद जिले की जनता से जुड़े मुद्दों व सवालों पर आखिर दोनों दल के नेता चुप्पी साध बैठे ।
” जनहित के मुद्दों पर पर कांग्रेस जिला अध्यक्ष की चुप्पी सत्तापक्ष की मजबूरी मान ले तो विपक्ष की भूमिका में भाजपाई आवाज में धार क्यों नही आ रहा “
आखिर शोषित पीड़ित जनता की आवाज बालोद जिले में कौन उठायेगा जनता के लिए जनता के हित में आवाज बुलंद करने वाले दोनों प्रमुख पार्टियां जायज मुद्दों पर आगे क्यों नही आते ” लोगो की आवाज क्यों नही बनते ? “
बालोद जिला cg24 आजतक न्यूज :-
बालोद जिले की राजनीति दो प्रमुख दलों भाजपा व कांग्रेस के बीच मे ही बनते बिगड़ते रहा है। व जिले की आमजनता की उम्मीदें इन्ही दोनों दलों के नेताओ से रहता है। चाहे सत्ता दल की सरकार हो या कोई विपक्ष में बैठा हो दोनों दलों के समर्थक व पसंद करने वालो की एक अच्छी संख्या बल भी दोनों दलों के पास है। लेकिन ये दोनों प्रमुख दल समय परिस्थिति के हिसाब से जिले में राजनीति करते दिख रहे है। हम ऐसा इसलिए कह रहे है। कि प्रदेश में जो दल 15 साल सत्ता से बाहर रहा वो बड़े बहुमत के साथ सरकार में है। वही जो पार्टी 15 साल तक सत्ता के शिखर पर मौजूद रहा वो निम्न सदस्य संख्या के साथ सिमटा हुआ है। मतलब बदलाव भी बड़े स्तर पर हुए है।
बालोद जिला में सरकार के खिलाफ जिस ताकत व रणनीति के तहत सत्ता पक्ष का विरोध किया जाना चाहिए वो दिखाई नही दे रहा भाजपा के शिर्ष नेता जो जिले में प्रवेश करते है। वो कांग्रेस के द्वारा जिले के अंदर कई तरह के अवैध व नीति विरुद्ध कार्य करने जनता के खिलाफ काम करने की बात कहते है। पर जब विरोध की बात धरातल पर उतर कर आवाज बुलंद करने की बात होती है। तो वो दिखाई नही देता आखिर क्यों विपक्ष की भूमिका में भाजपाई कमजोर दिख रहे है। जबकि इनके नेताओ की माने तो भाजपाई विपक्षी भूमिका के होनहार खिलाड़ी व तजुर्बाकार माने जाते है। तो सत्ता के खिलाफ आवाज बुलंद क्यों नही हो पा रहा। वही दूसरी तरफ
कांग्रेस सत्ता में तो प्रदेश में बड़ी ताकत दिखाई दे रहा व बालोद की चुनावी राजनीति में भी लगातार जीत दर्ज कर बढ़त बनाये हुए है। लेकिन वहां भी संगठन में व सत्ता के बीच जो खेमेबाजी व दूरियां दिख रहा वो भी अब सामने दिख रहा है। लम्बे कसरत के बाद जिला अध्यक्ष की नियुक्ति हो गई बावजूद लम्बे समय के बाद भी संगठन का विस्तार नही हो पाया जो एक बड़ी कमजोरी माना जा रहा है।
सरकारें आती है। जाती है जनप्रतिनिधि भी बदलते रहते है। नीतियां व नियम बदल जाते है। लेकिन इन सबके बीच आमजन की परेशानियां कम नही होती ज्यो की त्यों बनी रहती है। चाहे शिक्षा का मामला हो,स्वास्थ्य का मामला हो,पेयजल का मामला हो रोजगार की बात हो या प्रशासनिक कमजोर व्यवस्था से होने वाली परेशानियां ये आमजन का पीछा नही छोड़ रही लोगो की आशाएं व अपेक्षाएं पूरी नही हो पा रहा है।
बालोद जिले के स्वास्थ्य विभाग में लगातार बड़े बड़े मामले आये जिनमे काफी जनहानि हुई व लोगो को अपनो को खोना पड़ा बड़ी बात यह कि विभागीय कमियों के खिलाफ पीड़ित पक्ष ही सामने आकर आवाज बुलंद करते दिखे लेकिन सही व जायज मुद्दों पर दोनों प्रमुख दल के नेता जिले के अंदर मौन साधे दिखे चाहे नवजात की मृत्यु का मामला हो या एक्सपायरी दवाई ड्रिप लगाने की बात हो या ,पंचायतो में हो रहे सामग्री सफ्लाई,या स्कूलों में स्वेच्छानुदान मामले में उठते आवाज की बात हो विपक्ष कई बड़े मामलों पर गायब ही दिख रहा जो सही नही कहा जा सकता है।