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Cancer: शरीर पर दिख रहे ऐसे निशान न करें नजरअंदाज, कैंसर का हो सकते हैं वॉर्निंग साइन

मेलानोमा, बेसल सेल कार्किनोमा और स्क्वामस सेल कार्किनोमा जैसे स्किन कैंसर (Skin cancer) अक्सर आपकी त्वचा में आए अनचाहे बदलाव के साथ शुरू होते हैं. त्वचा पर इस तरह के बदलाव कैंसर नहीं होते हैं, लेकिन कैंसर का कारण बन सकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, फेयर स्किन वाले करीब 65 साल की उम्र के 40 से 50 प्रतिशत लोगों में कैंसर का खतरा ज्यादा होता है. इसलिए स्किन में दिखने वाले किसी भी दाग-धब्बे को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. यदि स्किन कैंसर को शुरुआती स्टेज पर न रोका जाए तो हालात बदतर हो सकते हैं.

Photo Credit: Getty Imagesएक्टोनिक कैराटोसिस

एक्टोनिक कैराटोसिस- शरीर पर ये छोटे-छोटे धब्बे सूर्य की किरणों के ज्यादा संपर्क में आने से हो सकते हैं. ऐसे निशान हमारे सिर, नाक, हाथ या शरीर के किसी भी अंग पर हो सकते हैं. हालांकि ये बताना मुश्किल है कि इस तरह के निशान कितने समय के बाद कैंसर का रूप धारण करते हैं. इसकी संभावना तो काफी कम होती है, लेकिन डॉक्टर फिर भी जांच कराने की सलाह देते हैं. फेयर स्किन, लाल बाल या नीली-हरी आंखों वाले लोगों में इसके खतरे की संभावना ज्यादा होती है.

एक्टिनिक चेइलिटिस- एक्टिनिक शिलाइटिस भी शुरुआती स्किन कैंसर की एक कंडीशन होती है जो आमतौर पर निचले होंठ पर होती है. इसमें होठों पर पपड़ीदार पैचिस या खुरदरापन हो सकता है. कुछ मामलों में होंठ पर सूजन, स्किन के शार्प बॉर्डर और लिप लाइन पर भी इसका असर पड़ सकता है. यदि समय पर इलाज न मिले तो एक्टिनिक चेइलिटिस खतरनाक स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का रूप ले सकते हैं.

Photo Credit: Getty Imagesक्यूटेनियस हॉर्न

क्यूटेनियस हॉर्न- क्यूटेनियस हॉर्न त्वचा पर किसी सींग की तरह उभरता है, जिसकी निचली सतह लाल होती है. ये कैराटिन से बना होता है. वही प्रोटीन जिससे हमारे नाखून बनते हैं. ये एक्टिनिक केराटिन का एक खास प्रकार है. वैसे तो इसका साइज या शेप किसी भी तरह का हो सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में इसकी लंबाई मिलीमीटर में होती है. इसके आधार में स्क्वैमस सेल कार्किनोमा पाया जाता है. सूर्य की किरणों के सीधे संपर्क में आने वाले फेयर स्किन के लोगों में ये समस्या ज्यादा देखी जाती है.

Photo Credit: Getty Imagesतिल

तिल- शरीर पर नजर आने वाले तिल पर किसी तरह का बदलाव आना भी सामान्य नहीं है. इस तरह की दिक्कत स्किन कैंसर की समस्या खड़ी कर सकती है. ऐसे बदलाव एक समय के बाद मेलानोमा कैंसर का कारण बन जाते हैं. स्किन कैंसर में कन्वर्ट होने वाले तिल अक्सर अनियमित आकार के होते हैं. ये किसी भी रंग के हो सकते हैं. इनका आकार किसी पेंसिल इरेजर की तरह बड़ा हो सकता है.

Photo Credit: Getty Imagesडाइप्लास्टिक नेवी

डाइप्लास्टिक नेवी- शरीर पर जन्म से नजर आने वाले तिल कैंसर नहीं होते हैं, लेकिन ये कैंसर बन सकते हैं. सूर्य के संपर्क में सबसे ज्यादा या सबसे कम आने वाले अंगों में इसकी संभावना ज्यादा रहती है. ये आकार में काफी बड़े और अनियमित हो सकते हैं, जिनका बॉर्डर थोड़ा धुंधला दिखाई पड़ता है. ये गुलाबी, लाल या ब्राउन कलर का हो सकता है.

कब लें डॉक्टर से सलाह- वैसे तो शरीर पर तिल होना बड़ी सामान्य सी बात है. लेकिन अगर तिल का बॉर्डर टुकड़ों में दिखाई देता है या इसका आकार अनियमित होने लगे तो डर्मटालॉजिस्ट से इसकी जांच जरूर करा लेनी चाहिए. मेलेनोमा के घाव में भी अक्सर ऐसे असमान बॉर्डर देखे जाते हैं.

कलर पर दें ध्यान- तिल के कैंसर में ट्रांसफॉर्मेशन का एक बड़ा वॉर्निंग साइन ये भी है कि ये हमेशा एक रंग का नहीं रहता है. ये लाल, ब्राउन, नीला, सफेद या किसी भी कलर का हो सकता है. जबकि एक सामान्य तिल हमेशा एक ही रंग का रहता है. तिल के असामान्य आकार और रंग बदलने की स्थिति में डॉक्टर से चेकअप जरूर कराएं

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