
डौंडी क्षेत्र में दोनों सीटों पर भाजपा की हार वही एक मे कांग्रेस की जीत
क्षेत्रीय विधायक अनिला भेड़िया के नेतृत्व वाली डौंडीलोहारा सीट पर कांग्रेस की नगरीय निकाय व जनपद पंचायत के चुनावों में बड़ी हार
डौंडी व डौंडीलोहारा वनांचल क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति अभी भी कमजोर,क्षेत्र को दमदार नेतृत्व की आवश्यकता
बालोद :- समाप्त हुए नगरीय निकाय चुनाव व पंचायत चुनावों के बाद जो तस्वीर अब सामने आ रहा है। उसमें बालोद जिला पंचायत में भाजपा का अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। वही पांच जनपद पंचायतो में भी लगभग 4 में भाजपा की स्थिति बेहतर दिखाई दे रहा है। वही एक मे कमोबेश अंतिम समय तक घमासान मचने की स्थिति बन सकता है। और वो है डौंडी जनपद पंचायत जहां कुल 15 सदस्यों में 7 और 8 कि स्थिति के कारण असमंजस बना रहेगा सूत्रों की माने तो कांग्रेस के कुल 9 सदस्य चुनाव में जीते है। लेकिन कुछ समर्थित नही बन पाए व निर्दलीय चुनकर आ गए है। व फिलहाल कांग्रेस खेमे से दूर दिखाई दे रहे है। वही भाजपा के पाले में वर्तमान में 8 सदस्य बने हुए है। व जीत का अंक गणित अभी तक भाजपा के साथ दिख रहा है। जिसमे कुसुमकसा क्षेत्र के बड़े नेता संजय बैस जो कि पूर्व जनपद सदस्य रहे है। वर्तमान में अपनी पत्नी को जनपद चुनाव जिताकर लाये है। उनकी भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। वही राजेश चुरेन्द्र भी इस जादुई अंक गणित में अहम रोल निभा सकते है। इस कारण लड़ाई अंतिम समय तक बना रहेगा।
डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े आदिवासी ब्लाक डौंडी के 2 जिला पंचायतों में एक मे कांग्रेस ( मिथलेश नुरेटी ) व एक मे निर्दलीय युवा नेत्री नीलिमा श्याम की बड़ी जीत ने इस विधानसभा क्षेत्र में एक नए समीकरण को जन्म दे दिया है। वही डौंडीलोहारा ब्लाक के क्रमांक 8 में राजाराम कांग्रेस ने जीत दर्ज किया है। वही 7 में भाजपा के चुन्नी मानकर जीतकर आई है। अब हम सारे नतीजों को राजनीतिक चश्मे से देखे तो यह कहने में कोई शक नही की तीनों सीटों पर भाजपा की बड़ी हार हुई है। वही कांग्रेस को एक सीट पर राहत मिला है। बावजूद क्षेत्रीय विधायक व पूर्व मंत्री अनिला भेड़िया के परिवार वालों की हार से कांग्रेस के बड़े राजनीतिक परिवार को थोड़ा झटका तो लगा ही होगा और हार भी उस क्षेत्र में जहां कांग्रेस याने भेड़िया मजबूत माने जाते है। यह शुभ संकेत नही माना जायेगा आनेवाले समय के लिए।
राजनीति से जुड़े कुछ लोगो का मानना है कि क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली एक युवा लड़की ने दो प्रमुख राजनीतिक दलों को परास्त कर दिया है। यह छोटी घटना नही है। कुछ लोग क्षेत्र की राजनीति में तीसरे मोर्चे की एंट्री कह रहे वही कुछ लोग वामपंथी विचारों के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार कर रहे है। यानी कि एक अलग विचार धारा का उदय डौंडीलोहारा सीट पर हुआ है। जो कि नीलिमा श्याम के रूप में सामने आया है। बहरहाल अंदरूनी चर्चाओं की माने तो इस जीत से क्षेत्र के कई कार्यकर्ताओ में मायूसी छाया हुआ है।
वैसे तो डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के कई बड़े नेताओ का जलवा समय समय पर दिखाई देते रहता है। औऱ प्रदेश के मुखिया तक उनकी पहुंच के किस्से सुनाई देते है। लेकिन डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र के तीन जिला पंचायत के इन चुनावों को पलड़े पर रखकर देखे तो इन नेताओं का वजन थोड़ा कम ही आ रहा है। क्योंकि एक बड़े भूभाग वाले मतदाताओं के बीच से फिर एक बार पार्टी के उम्मीदवार हार गए है। जो कि विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद पुनः उन्ही क्षेत्रों में एक बड़ी हार माना जा रहा है।
सांसद भोजराज नाग,प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर,सोमेश सोरी,देवेंद्र माहला सरीखे अन्य आदिवासी नेताओं की रणनीति आखिर डौंडी क्षेत्र में क्यू फेल हो रहा ? ऐसे क्या कारण है कि इन नेताओं के मुख्यमंत्री निवास तक पहुंच बनने के बाद भी क्षेत्र के मतदाताओं तक इनकी पहुंच नही बन पा रहा,आखिर राज्य में सरकार बनने व साय साय विकास के कार्य होने व योजनाओं से लाभ मिलने के बाद भी डौंडी जैसे आदिवासी ब्लाक में भाजपा के पैर जम नही पा रहे। इन क्षेत्रों में पार्टी का जनाधार आखिर कब तक ऐसे चुनावो में कमजोर बना रहेगा ?
राजनीति में चुनावो में हार के बाद ऐसे कई प्रश्न उठते रहते है। जो कि बाजिब भी है। और ऐसे प्रश्नों के उत्तर भी संगठन को ढूढना चाहिए जिससे आने वाले समय मे सफलता प्राप्त हो ।
और जिस ऊंचाई तक वर्तमान में भाजपा संगठन बालोद जिला पहुंचा है। वो आगे भी अनवरत जारी रहे।